Tag: ज्ञान
क्षमा
मनुष्य का आभूषण रूप है । रूप का आभूषण गुण है । गुण का आभूषण ज्ञान है । ज्ञान का आभूषण क्षमा है ।
वर्ताव/ सत्य/ ज्ञान
‘वर्ताव’ में बालक, ‘सत्य’ में युवा और ‘ज्ञान’ में वृद्ध बनो ।
ज्ञान/मान
ज्ञान बंध का कारण नहीं, यदि मान आजाये तो वह बंध का कारण है , जैसे दूध में यदि विष मिल जाये तो वह विष
आत्मदर्शन
दर्पण में साफ देखना चाहते हो तो :- उसे साफ रखना होगा यानि व्यसन रहित । स्थिर रहे यानि कषाय रहित । अनावरित रहे यानि
ज्ञान
गाय को यदि खूंटे से बांध कर नहीं रखा तो वह भटक जाती है । ज्ञान को भी यदि श्रद्धा के खूंटे से बांध कर
ज्ञान
हम सब अपने ज्ञान का अनादर करते हैं। जैसे हम सब जानते हैं कि झूठ बोलना पाप है, फिर भी बोलते हैं। मुनि श्री योगसागर
पुरुषार्थ
जो लोग ज्ञान को दूसरे के हाथ के चम्मच से लेते रहते हैं । अंत में उनके हाथ सिर्फ़ चम्मच ही रह जाता है ।
बुद्धि
जिसका दिमाग (ज्ञान) ज्यादा चलता है, उसके पैर (चारित्र) कम चलते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
गहरा ज्ञान
ज्ञान के इतनी गहराई में जाने की क्या ज़रूरत है ? स्व. श्री राजेन्द्र भाई यदि गाड़ी के बारे में गहरा ज्ञान हो तो, जब गाड़ी अटक
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