Tag: भक्ति
भक्ति
भक्ति भुक्ति (भोगने) के लिये नहीं, अनुरक्ति के लिये, अनुरक्ति से संसार से विरक्ति, इससे ही मुक्ति मिलेगी । अनुरक्ति से ही केवली के पादमूल
भक्ति
जब शक्ति अंदर है तो भक्ति का क्या Role ? भक्ति कुदाल है, जो अंदर की शक्ति को खोदकर बाहर निकालती है । भक्ति अंजुरी
भक्ति
भक्ति क्यों नहीं हो पाती ? क्योंकि हम पापों पर विश्वास करते हैं, पुण्य पर नहीं । श्री राम वनवास जाते समय प्रसन्न इसलिये थे
भक्ति
भक्ति हमें आलसी या अहंकारी नहीं बनाती, बल्कि सच्चा पुरुषार्थ करने की प्रेरणा देती है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
भक्ति
प्रभु! पर्वत के चरणों में रहने वाली जमीन को चाहे तलहटी कहलाने का गौरव मिलता हो, परन्तु,प्रभु! आपके चरणों में रहने वाले भक्त को तो
भक्ति का प्रभाव
गाना जल्दी जल्दी गाओ तो आनंद नहीं आता । भक्ति का प्रभाव इसलिये नहीं हो रहा क्योंकि हम जल्दी-जल्दी निपटा रहे हैं, भाव सहित नहीं
कर्म और भक्ति
अच्छा तो अपने कर्मों से होता है, अच्छाई भगवान/गुुुुरु की भक्ति से । चिंतन – एकता पुणे
भक्त / भगवान
हनुमान को संकट-मोचन कहा, राम को क्यों नहीं ? सेवक मालिक की सेवा करता है या मालिक सेवक की ??
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