Tag: लालमणी भाई
देह-त्याग
माँ (श्रीमती मालतीदेवी) के देहावसान पर…. वेदन हो पर वेदना न हो,उसे निर्जरा (कर्मों को काटना) कहते हैं । लालमणी भाई
निर्दोष दृष्टि
लोग मेरी कमियाँ बताते हैं तब मेरा भी मन करता है – मैं भी उनकी कमियाँ बताऊँ, पर बता नहीं पाता, क्योंकि मुझे उनमें कमियाँ
अक्षर ज्ञान
संस्कृित भाषा नहीं आती तो भी श्रद्धा से पढ़ो । जिसकी वंदना कर रहे हो, उसे तो आती है । श्री लालमणी भाई
वृद्धावस्था
जूना होने पर कपड़ा किसी और के काम का नहीं रहता , पर जो किसी के भी काम का नहीं रह जाता, वह अपने काम
ज्ञानी
ज्ञान का सार्थक* प्रयोगी ही ज्ञानी है । श्री लालमणी भाई *आत्म शुद्धता
पुण्योदय में पापकर्म
जब तक तेरे पुण्य का बीता नहीं करार, तब तक तुझको माफ़ हैं, औगुन करे हजार । श्री लालमणी भाई
कर्तव्य
दो मुख्य कर्तव्य – “एक जीव की जीविका, दूजा जीव उद्धार” । कैद में पड़े इस जीव को भोजन तो जरूरी है सो जीविका, पर
धर्मध्यान
भगवान की भक्ति आदि करने से कषाय भाग जाती है/मंद होती है । कषायें भाग जाने पर (खाली घर हो जाने पर) ज्ञान प्रवेश पाता
प्रयास
आँखों में कचरा गिरते समय, पलकें कचरे से आँखों को बचाने का पूरा प्रयास करतीं हैं, चाहे कचरा गिरे या आँखें बचें । दांतों में
पुरूषार्थ
उलझने से बचना, सुलझने का प्रयास करना, भुगतने की सामर्थ रखना । श्री लालमणी भाई
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