Tag: संजय
फुर्सत
क्या बेचकर..खरीदें तुझे.. ऐ-“फुर्सत”.. सब कुछ तो..गिरवी पड़ा है.. जिम्मेदारी के..बाजार में… (ब्र.संजय)
निराशा / प्रसन्नता
वृद्ध अतीत में जीता है, इसलिए निराश रहता है। युवा भविष्य में जीता है, इसलिए निराश रहता है। बच्चा वर्तमान में जीता है, इसलिए सदैव
एकता
झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है। लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद
सत्य
दुनिया में लोग सत्य के लिये नहीं लड़ते , मेरी बात सत्य है, इसके लिए लड़ते हैं , पर जो सत्य को पा जाते हैं
मन
शरीर पूरा पवित्र नहीं हो सकता, फिर भी हम उसे पवित्र करने में लगे रहते हैं। मन पवित्र हो सकता है, पर उसकी ओर हमारा
संघर्ष
संघर्ष को यदि इस द्रष्टि से देखें- “संग+हर्ष” तो जीवन हर्षमय हो जायेगा। (संजय)
Tongue/Brain
If the tongue is doing overtime, it surely means that the brain is on strike ! (Mr. Sanjay – Mumbai)
अपनापन
जिसमें याद ना आए वो तन्हाई किस काम की, बिगड़े रिश्ते ना बने तो खुदाई किस काम की ? बेशक इंसान को ऊँचाई तक जाना
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