Tag: संसार

संसार / मोक्ष

संसार – संयोग संबंध बनाना/सच्चा मानना, मोक्ष – संयोग संबंध छोड़ना/झूठा मानना ।

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संसार बुरा क्यों ?

किसी व्यवसाय में खर्चा/परेशानी ज्यादा, कमाई /सुकून कम हो तो उसको बुरा कहोगे ना ? संसार में भी सुख (सुखाभास) कम, दु:ख ज्यादा, इसलिये बुरा

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धर्म / संसार

संसार (भव) सागर है, धर्म आक्सीजन सिलेण्डर, जिसके सहारे संसार में धंसे हुये भी निकल सकते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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संसार और वैराग्य

संसार में असंतुष्ट प्राणी वैराग्य लेने के बाद भी उन चीजों को पाने में लग जायेगा, जिनकी कमी वह संसार में अनुभव करता था ।

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संसार

5 छिद्रों वाले घड़े को कैसे भरेंगे ? गुरु ने मुस्कान के साथ उत्तर दिया -पानी में ही डूबा रहने दो ;भरा ही रहेगा !

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संसार / परमार्थ

संसार में पुण्य का महत्त्व ज़्यादा है, प्रमादी को भी लाभ होता है, परमार्थ में प्रमादी की प्रगति नहीं । रत्नत्रय – 3

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संसार

अपने पराये का भेद ही संसार है । असल में ना कोई अपना है, ना पराया; सब अपने अपने हैं । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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संसार

संसार मुझ से नहीं चल रहा है, सबसे चल रहा है । मेरे कम होते ही उस जगह को भरने, दूसरा आ जायेगा ।

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संसार / मुक्ति

घोंसला बनाने में कुछ यूँ मशग़ूल हो गए….. उड़ने को पंख थे हम ये भी भूल गए……….! (धर्मेंद्र)

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मंगल आशीष

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