Tag: संसार

सांसारिक सुख

कुत्तों के पास से कार गुजरते ही वो उसके पीछे दौड़ने लगते हैं और भौंकते हैं । क्या सोचते होंगे वे कुत्ते ? गाड़ी को

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संसार

मन की मान्यताओं का नाम बंधन है । यह बंधन ही संसार है ।

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सांसारिक सुख

स्व. श्री होतीलाल जी (वरवाना) कई गांवों के जमींदार थे । उनके सेवक जब कोई गलती करते तो आप जूते उतार कर उनकी पिटाई कर

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संसार

जंगल (संसार) में सपेरे बीन लिये बैठे हैं, पर हम और भी महान, दुरबीन लिये बैठे हैं । (श्री मेहुल)

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संसार/मोक्ष

चींटी चावल ले चली, बीच में मिल गयी दाल । कहि कबीर दोऊ ना चलें, एक लै दूजी ड़ार ।।

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संसारी खेल

कैरम के खेल में अच्छा खिलाड़ी एक गोटी लेते समय यह ध्यान रखता है कि अपनी तो अगली गोटी बन जाऐ/ अच्छी Positon में आ जाऐ

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संसार

घर से चले थे, ख़ुशी की तलाश में । गम रास्ते में मिल गये और साथ हो लिये ।। (श्री जितेन्द्र कुमार जैन)

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संसार/मोक्ष

चींटी चावल ले चली, बीच में मिल गयी दाल । कहि कबीर दोऊ ना चलें, एक लै दूजी ड़ार ।।

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मंगल आशीष

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