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इंसान
🌨🌳🌨🕉🌨🌳🌨 सुखी होने के चक्कर में जो पूरी जिंदगी दुखी रहता है…… उसी का नाम इंसान है । 🙏 सुरेश 🙏
सुख
1. हमारे पास सुख की कमी नहीं, पर हमें उसकी सुध नहीं । 2. अज्ञानी पुण्य के उदय को सुख मानता है, ज्ञानी ज्ञान के
सुख
सांसारिक सुख की तासीर – 1. समय/मात्रा/संख्या के साथ घटता है । 2. सुख देने वाली वस्तु से अलगाव अवश्यंभावी होता है । 3. सुख
अज्ञात / ज्ञात
स्कूल में तीन बकरी घुस आयीं, एक बच्चे ने उनपर 1, 2, 4, नं लिख दिये । सुबह तक उन बकरियों ने स्कूल में खूब
सुख / आनंद
अकारण सुख प्राप्ति को आनंद कहते हैं। (श्रीमति शर्मा) कारणों में सुख ढूढना बंद कर दें, तब आत्मा का स्वाभाविक आनंद स्वत: ही आने लगेगा।
सुख/दु:ख और धर्म
दुखी न होना ही, सुखी होना है । सुखी रहना ही धर्म है ।। (धर्मेंद्र)
सुख,दु:ख और धर्म
दु:खी ना होना ही, सुखी होना है । सुखी रहना ही धर्म है । (धर्मेंद्र)
आनंद / सुख
आनंद शब्द “नंद” धातु से बना है, नंद का अर्थ है संतोष । जब संतोष आ जाए तो आनंद होगा ही । इसका उल्टा कुछ
सुख / शान्ति
व्यथा में सुख की नहीं, शान्ति की तलाश रहती है । सुख की खोज तो अंतहीन है (जैसे ही व्यथा समाप्त हुई, फिर से सुख
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