अध्यवसाय

संकल्प विकल्पों में लगा हुआ ज्ञान कहलाता है । इससे कर्मबंध होता है ।
किसी ने आपको गधा कहा, बस संकल्प-विकल्प शुरु, पर जिनवाणी माँ ने संकल्प-विकल्प रहित तुमको शांत आत्मा कहा, उसे नहीं माना ।
संसार  संकल्प-विकल्प रूप तरंगें हैं, जिनमें सब झूल रहे हैं ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी (मुनि श्री कुंथुसागर जी)

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4 Responses

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि जिनवाणी मां ने संकल्प विकल्प रहित तुमको शांत आत्मा कहा है, उसे न मानना अध्यवसाय होता है। इस संसार का कारण संकल्प और विकल्प रुप तरंगें हैं जिनमें सब झूल रहे हैं। अतः जीवन के कल्याण के लिए जो जिनवाणी मां ने कहा है उसका पालन करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है ।

  2. “संकल्प विकल्पों में लगा हुआ ज्ञान कहलाता है” । Isme kya kuch missing hai?

    1. सांसारिक ज्ञान संकल्प-विकल्प रूप ही होता है, बस निर्वाह करता है,
      जिनवाणी ज्ञान संकल्प-विकल्प मिटाया है, निर्वाण करता है ।

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