अनुभव / अनुभूति
अनुभव दूसरों का भी होता है(काम स्वयं के भी आता है) जैसे ज़हर से दूसरों को मरते देखकर होता है ।
अनुभूति स्वयं की ही जैसे गुड़ का स्वाद ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
अनुभव दूसरों का भी होता है(काम स्वयं के भी आता है) जैसे ज़हर से दूसरों को मरते देखकर होता है ।
अनुभूति स्वयं की ही जैसे गुड़ का स्वाद ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि अनुभव दूसरों का भी होता है लेकिन स्वयं के लिए काम आता है, जैसे ज़हर से दूसरों को मरते हुए देखकर होता है। जबकि अनुभूति स्वयं की ही जैसे गुड़ का स्वाद। अतः अनुभव तो दूसरों से भी मिलता है लेकिन अनुभूति स्वयं को ही करना आवश्यक है।