प्रथमानुयोग पाप से डरा कर भय की सीमारेखा खींच देता है; पुण्य कार्यों के प्रति आकृष्ट करता है।
करणानुयोग कर्म सिद्धांत बताकर नियमों में बांध देता है। चरणानुयोग विधि बताता है और
द्रव्यानुयोग मोक्ष पहुँचने का रास्ता।
मुनि श्री सुधासागर जी
Share this on...
4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने अनुयोग का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है ! अतः जीवन में सभी अनुयोग का अध्ययन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है! जीवन में सबसे पहले प़थमाअनुयोग का अध्ययन करना चाहिए!
4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने अनुयोग का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है ! अतः जीवन में सभी अनुयोग का अध्ययन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है! जीवन में सबसे पहले प़थमाअनुयोग का अध्ययन करना चाहिए!
‘प्रथमानुयोग पाप से डरा कर भय की सीमारेखा खींच देता है’; Is line me, ‘भय की सीमारेखा खींच देता है’ ka kya meaning hai, please ?
गृहस्थी में पाप तो होंगे ही, पर प्रथमानुयोग पढ़ने से सीमा समझ आयेगी कि वैसा पाप किया तो जैसे वह नरकादि में गया, वैसे ही मुझे भी जाना पड़ेगा !
Okay.