अप्रमत्त
छठे गुणस्थान के क्षयोपशम-सम्यग्दृष्टि को सातिशय-अप्रमत्त में जाने के लिये तीनों करण तीन बार करने होते हैं:
1. अनंतानुबंधी की विसंयोजना के लिये।
2. सम्यक्-प्रकृति के उपशमन करने पर द्वितीयोपशम सम्यग्दर्शन होगा।
3. उपशम श्रेणी चढ़ते समय।
उपशमन करने वाला क्षपण श्रेणी तो चढ़ेगा नहीं।
(I) स्वस्थान अप्रमत्त → i) ध्यान में ii) प्रवृत्ति में
(II) सातिशय अप्रमत्त → i) उपशमन के साथ ii) क्षायिक के साथ।
3 Responses
1) ‘सातिशय-अप्रमत्त’ में जाने के लिये, jo teen point diye hain, wo teenon, teen baar karna hota hai, kya ?
2) ‘क्षपण’ श्रेणी hai ya ‘क्षपक’ श्रेणी ?
1) हाँ, तीनों तीन बार करने होते हैं।
2) प्रायः क्षपक-श्रेणी,
पर क्षपण का मतलब भी क्षय होता है और क्षपक-श्रेणी माड़ने में कर्मों का क्षय ही होता है।
Okay.