आत्मा के अस्तित्व का एहसास तो मिथ्यादृष्टि भी करता है, पर सम्यग्दृष्टि आत्मा की त्रैकालिक अवस्था पर विश्वास करता है।
चिंतन
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4 Responses
आत्मा का तात्पर्य जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मा का एहसास तो मिथ्याद्वष्टि भी करता है, लेकिन सम्यग्द्वष्टि आत्मा की त्रैकालिक अवस्था पर विश्वास करता है। अतः जीवन में सम्यग्द्वष्टि के भाव रखना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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आत्मा का तात्पर्य जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मा का एहसास तो मिथ्याद्वष्टि भी करता है, लेकिन सम्यग्द्वष्टि आत्मा की त्रैकालिक अवस्था पर विश्वास करता है। अतः जीवन में सम्यग्द्वष्टि के भाव रखना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
Can meaning of “पर सम्यग्दृष्टि आत्मा की त्रैकालिक अवस्था पर विश्वास करता है” be explained, please ?
मिथ्यादृष्टि जो साक्षात दिखता है उस पर विश्वास करता है।
सम्यग्दृष्टि भूत, भविष्य तथा जो प्रत्यक्ष दिखायी नहीं देता, उस पर भी।
Okay.