6ठे गुणस्थान तक आयु की उदीरणा हो सकती है ।
(यानि अकाल मरण हो सकता है)
मुनि श्री सुधासागर जी
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उदीरणा का मतलब अपक्व नहीं, अपके हुए कर्मों का पकाना है। दीर्घ काल बाद उदय में आने योग्य कर्म को अपकषर्ण करके उदय में लाकर उसका अनुभव कर लेना उदीरणा है। अतः उक्त कथन सत्य है कि 6ठे गुणस्थान तक आयु की उदीरणा हो सकती है यानी अकाल मरण हो सकता है।
यहाँ तो आयुकर्म के संदर्भ में कहा जा रहा है ।
अन्य कर्मों की उदीरणा तो अगले गुणस्थानों में और ज्यादा होगी तभी तो अंतरमुहूर्त में श्रेणी पार करके घातिया कर्मों को क्षय कर पाओगे ।
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उदीरणा का मतलब अपक्व नहीं, अपके हुए कर्मों का पकाना है। दीर्घ काल बाद उदय में आने योग्य कर्म को अपकषर्ण करके उदय में लाकर उसका अनुभव कर लेना उदीरणा है। अतः उक्त कथन सत्य है कि 6ठे गुणस्थान तक आयु की उदीरणा हो सकती है यानी अकाल मरण हो सकता है।
“6ठे गुणस्थान तक आयु की उदीरणा हो सकती है” ya “Total उदीरणा” ?
यहाँ तो आयुकर्म के संदर्भ में कहा जा रहा है ।
अन्य कर्मों की उदीरणा तो अगले गुणस्थानों में और ज्यादा होगी तभी तो अंतरमुहूर्त में श्रेणी पार करके घातिया कर्मों को क्षय कर पाओगे ।
Okay.