हम बाहर की क्रियाओं को बहुत महत्त्वपूर्ण देते हैं जैसे कोयल की आवाज,
हालांकि हम यह भी नहीं जानते कि वह क्यों और क्या बोल रही है!
जब कि हमें अपनी अंतरंग भावनाओं को ज्यादा महत्त्व देना चाहिए।
चिंतन
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क़ियायें दो प्रकार की होती हैं बाहरी एवं आन्तरिक।
उपरोक्त चिंतन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कोई भी क़ियायें करना है तो अंतरंग से करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। जीवन में धार्मिक क़ियायें तो अंतरंग से करना चाहिए ताकि अपने कर्मों को काटने में समर्थ हो सकते हैं।
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क़ियायें दो प्रकार की होती हैं बाहरी एवं आन्तरिक।
उपरोक्त चिंतन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कोई भी क़ियायें करना है तो अंतरंग से करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। जीवन में धार्मिक क़ियायें तो अंतरंग से करना चाहिए ताकि अपने कर्मों को काटने में समर्थ हो सकते हैं।