गर्भज
प्रकार →
1. जरायुज → जरायु + ज (उत्पन्न)
जरायु = झिल्ली/ आवरण (मांस रक्त का)। मनुष्य गाय आदि के।
2. अंडज → अंड + ज।
चींटियों के अंडे ?
कुछ चींटियां तरल पदार्थ छोड़तीं हैं जो अंडे का रूप (गोल) ले लेते हैं, उनमें बच्चे बनते हैं (मुर्गी आदि की तरह नर मादा के संयोग से पेट में अंडे नहीं बनते/ जीव नहीं आता)।
3. पोत → बिना आवरण के जैसे हिरण।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- 2/33)
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने गर्भज को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।