चल/अचल प्रदेश

स्वाध्याय में हम अवस्थित (अचल) पर प्रदेश चल।
आयुकर्म के पूर्ण अभाव पर स्थावर जीव भी चलित।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा – 592)

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4 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने चल या अचल प्रदेश की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।

    1. 1) शरीर ।
      2) स्थावर शरीर तो एक जगह ही रहते हैं, सो अचल। पर विग्रह गति में तो चलने की अपेक्षा चल होने चाहिए।

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