ज्ञान
ज्ञान संयमित होना चाहिये।
इसीलिये ज्ञान को दर्शन और चारित्र के मध्य में रखा जाता है।
जैसे मेले में घूमने जाते हैं तो छोटा बच्चा बीच में रहता है;
ज्ञान रूपी लड़के का एक हाथ माँ (दर्शन/आस्था),दूसरा हाथ पिता (चारित्र/कठोर) पकड़ कर रखता है तभी ज्ञान सुरक्षित रहता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि ज्ञान संयमित होना आवश्यक है। आत्मा में ज्ञान दर्शन और चारित्र के बीच में रखा गया है। अतः ज्ञान को उपयोग करें चारित्र एवं कठोर संयम की आवश्यकता होती है। उपरोक्त ज्ञान अंतरंग में होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।