तपादि के कष्ट
तपादि के कष्ट वैसे ही हैं जैसे फोड़े को ठीक करने के लिये डाक्टर फोड़े को फोड़ता है/कष्ट होता है ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
तपादि के कष्ट वैसे ही हैं जैसे फोड़े को ठीक करने के लिये डाक्टर फोड़े को फोड़ता है/कष्ट होता है ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
तप का तात्पर्य इच्छाओं रोक लगाना है। तप के द्वारा कर्मों की निर्जरा होती है। अतः मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि तप के कारण जो कष्ट महसूस होता है,इसकी तुलना फोड़े को ठीक करने के लिए डाक्टर फोड़े को फोड़ता है तब कष्ट तो होता है लेकिन तभी ठीक हो सकता है,इसी प्रकार तपादि में जो कष्ट होता है, उसके लिए मुनियों के पास जाकर अपने कष्टों को दूर किया जा सकता है।