तारीफ की भावना

तालियाँ सुनने का भाव आये तो सोचना – उनको कैसा लगता होगा जिनको तालियाँ नहीं मिलतीं ।
दोनों हाथों से पुरुषार्थ करो तो दोनों हाथों से तालियाँ स्वत: ही बजेंगी ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

Share this on...

One Response

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – – – –
    हर व्यक्ति को तारीफ सुनने की भावना रहती है लेकिन भावना रखना उचित नहीं है बल्कि दोनों हाथों से ऐसा पुरुषार्थ करो कि लोगों की दोनों हाथों से तालियां बज सकें । हमेशा स्वयं की तारीफ मत सुनो बल्कि दूसरों की तारीफ करते रहना चाहिए। यह भी सावधानी रखें कि झूठी तारीफ न करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

April 26, 2018

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031