1. अक्षरात्मक – क्योंकि समझ आती है/ज्ञान प्राप्त कराती है।
2. अनक्षरात्मक – देवताओं तथा पशुओं को भी समझ आती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Share this on...
One Response
दिव्य ध्वनि का मतलब केवल ज्ञान होते ही अंर्हंन्त भगवान् के मुख से सब जीवों के कल्याण करने वाली ओंकार रुप वाणी खिरती है। उपरोक्त उदाहरण श्री मुनि महाराज ने दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। इसमें अक्षरात्मक या अनक्षरात्मक वह सभी प्राणियों चाहे एक इन्द़िय से पंच इन्द़ियो तक सबको समझ में आती है। उपरोक्त वाणी सुबह, दोपहर,शाम एवं अर्ध रात्रि को खिरती है।
One Response
दिव्य ध्वनि का मतलब केवल ज्ञान होते ही अंर्हंन्त भगवान् के मुख से सब जीवों के कल्याण करने वाली ओंकार रुप वाणी खिरती है। उपरोक्त उदाहरण श्री मुनि महाराज ने दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। इसमें अक्षरात्मक या अनक्षरात्मक वह सभी प्राणियों चाहे एक इन्द़िय से पंच इन्द़ियो तक सबको समझ में आती है। उपरोक्त वाणी सुबह, दोपहर,शाम एवं अर्ध रात्रि को खिरती है।