द्रढ़ता
आयुष जैन (गुना ) 12 साल के बच्चे ने आचार्य श्री के श्री मुख से सुना कि एक शराबी हर समय शराब पीता था, उसे कहा गया कि कमरे के एक कोने से दूसरे कोने में जाओ तब शराब ना पीने का नियम ले लो । उसने नियम ले लिया, कमरे में एक कोने से दूसरे कोने में जाते समय छत गिर गई और वो मर गया, लेकिन मृत्यु के बाद देव बना, क्योंकि वह त्यागी मरा था ।
आयुष को भी Thalassemia बीमारी हो गयी | जब हालत बहुत बिगड़ने लगी और उसे इन्दौर Ambulance से ले जाने लगे, रास्ते में उसे घबराहट हुई उसके पिता ने कुछ खाने और दवा लेने का आग्रह किया तब आयुष ने कहा कि मैं तो नियम लेके चला हूँ कि जब तक इन्दौर नहीं पहुंच जाऊंगा, तब तक मेरा अन्न, जल और दवा का त्याग है।
आज आयुष अपना नियम द्रढ़ता से निभाते हुये प्राण त्याग कर, देवलोक को सिधार गये हैं ।
मनीषा बुआ
छोटे-छोटे नियमों को द्रढ़ता से पालने वाले देवगति ही पाते हैं ।
4 Responses
Jai jinendra guruji,
kai log mujhse kahte hai ki hum bahut kosish karte hai par basna ki bhavna ko nahi rok pate. iske liye koi tarika.?
मन को खाली मत रखो, पुराने संस्कारवश वासना/भोग-विलास की तरफ़ वह जाता ही है ।
उसे रोकने का तरीका है कि उसे हर समय शुभ में लगाये रहो, छः आवश्यकों में उलझाये रहो । संस्कारित लोगों की संगति में रहो ।
Jin bachan ismaran se jivan me dradta ka marg prakashit hota hai….
Great, this is an amazing determination for a 12 year old. I am sure what he achieved in 12 years most of us can’t achieve in 120 years. May God bless his soul.