धर्म
धर्म के बारे में सोचा नहीं जाता,
बस अधर्म कम करते चले जाओ,
धर्म स्वंय जीवन में आता जायेगा ।
अधर्म का अभाव ही धर्म है,
जैसे हिंसा का अभाव ही अहिंसा है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
धर्म के बारे में सोचा नहीं जाता,
बस अधर्म कम करते चले जाओ,
धर्म स्वंय जीवन में आता जायेगा ।
अधर्म का अभाव ही धर्म है,
जैसे हिंसा का अभाव ही अहिंसा है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
2 Responses
A-BHAAV,
very very important,
HariBol.
Greatest thought and easiest approach.