धर्मी को कष्ट
धर्म करने से कष्ट बढ़ते नहीं, कष्ट निकलते हैं।
जैसे डाक्टर फोड़ा ठीक करने के लिये फोड़े को दबाकर उसकी गंदगी निकालता है।
उस समय कष्ट बढ़ा दिखता है पर बाद में, सुकून/ आराम।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
धर्म करने से कष्ट बढ़ते नहीं, कष्ट निकलते हैं।
जैसे डाक्टर फोड़ा ठीक करने के लिये फोड़े को दबाकर उसकी गंदगी निकालता है।
उस समय कष्ट बढ़ा दिखता है पर बाद में, सुकून/ आराम।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने धर्मी को कष्ट का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में यह निश्चित है कि धर्मी को भी कष्ट मिलते हैं, लेकिन उसको सहने की शक्ति रहती है। भगवान् श्री पार्श्वनाथ को भी कष्ट आये थे लेकिन समता षूवर्क सहन किया था।