पहचान
अपने आप को 3 प्रकार से पहचाना जा सकता है ।
1. परछायीं देखकर, पर इसमें नाक/कान आदि नहीं दिखते जैसे परदेश की सीमा पर खड़े होकर उस देश को देखते हैं ।
ऐसे ही प्राय: हम धर्म करते हैं -बिना चिंतन; मंथन के बिना नवनीत नहीं मिलता/देखा देखी (देखा + अदेखा) ।
2. प्रतिबिम्ब देखकर – विस्तृत दिखायी देते हैं । अपने को पहचान सकते हैं ।
3. ध्यान से – इससे अंतरंग का भी दर्शन होता है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि अपने आप की पहचान तीन प्रकार से होती है। लेकिन सही पहचान करना आवश्यक है, उसके लिए ध्यान से, इसमें अंतरंग का दर्शन होता है, यानी अपनी आत्मा को पहचान करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।