प्रतिक्रिया
आचार्य श्री विद्यासागर जी के विरुद्ध किसी ने पुस्तक छपवा दी।
मुझे (महाराज जी) बहुत बुरा लगा।
आचार्य श्री से आशीर्वाद मंगवाया जबाब देने के लिये ।
आचार्य श्री – आपको ऐसी पुस्तकें पढ़ने का समय कैसे मिला ?
क्या तुमने सारे धार्मिक ग्रंथ पढ़ लिये ?
धार्मिक ग्रंथ पढ़ने से क्रोधादि शांत होते हैं, ऐसी पुस्तकों को पढ़ने से क्रोधादि अशांत होते हैं।
मैंने (महाराज जी) आधी पुस्तक पढ़ी थी, आगे पढ़ना बंद करके रख दी।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
प्रतिक्रिया करना मनुष्य की बहुत बड़ी दुर्बलता होती है। इससे जीवन में कटुता बढ़ती है।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी कथन सत्य है कि कोई भी कुछ भी बुराई करता है तो उस पर कोई जबाव नहीं देना चाहिए ताकि मन शांत रहेगा।