भगवान पर उपसर्ग केवलज्ञान के बाद ही नहीं,
ग्रहस्थ अवस्था में भी नहीं होते हैं ।
क्योंकि…
इन्द्र/देव उनकी सेवा/रक्षा में लगे रहते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
(ग्रहस्थ अवस्था में तो वे ख़ुद भी रक्षा कर सकते हैं)
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One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में कोई भी जीव हो उपसर्ग होता ही है,उसका कारण उसके कर्मों के कारण होता है। अतः भगवान् पर भी उपसर्ग हुए थे लेकिन उपसर्ग सहन करते हुए घातिया कर्मों को जीतकर ही केवलज्ञान प्राप्त होता है।
अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि भगवान् पर उपसर्ग केवलज्ञान के बाद ही नहीं बल्कि ग़हस्थ अवस्था में भी नहीं होते हैं, क्योंकि इन्द़ और देव उनकी सेवा में भी लगे रहते हैं। लेकिन यह भी कथन सत्य है कि ग़हस्थ अवस्था में भी खुद रक्षा कर सकते हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में कोई भी जीव हो उपसर्ग होता ही है,उसका कारण उसके कर्मों के कारण होता है। अतः भगवान् पर भी उपसर्ग हुए थे लेकिन उपसर्ग सहन करते हुए घातिया कर्मों को जीतकर ही केवलज्ञान प्राप्त होता है।
अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि भगवान् पर उपसर्ग केवलज्ञान के बाद ही नहीं बल्कि ग़हस्थ अवस्था में भी नहीं होते हैं, क्योंकि इन्द़ और देव उनकी सेवा में भी लगे रहते हैं। लेकिन यह भी कथन सत्य है कि ग़हस्थ अवस्था में भी खुद रक्षा कर सकते हैं।