भाव

दुकानदार माल से मालदार नहीं,
भावों से मालदार बनता है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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6 Responses

  1. भाव के विषय में जो लिखा है, वह सही है। भावनाओं पर ही, मनुष्य का जीवन चलता है; इसी लिए अच्छे भाव रखेंगे; तभी जीवन भविष्य में उज्ज्वल होगा ।

    1. आध्यात्मिक क्षेत्र में “माल” यानी धार्मिक क्रियाएँ,
      भाव तो भावना है ही ।

    1. सही;
      मालदार, तो भावों से ही होते हैं ।
      दुकानदार, भावों (rates) से,
      हम सब भी, भावों (परिणामों) से ।

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