मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मरण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मरण को सल्लेखना अथवा समाधि मरण होना परम आवश्यक है। Reply
जीवों का नंबर तो फिक्स है। तो जब तक जीव मरेंगे नहीं, नए जीव कहां से आएंगे ! तभी तो घर का/ संसार का सिलसिला चलेगा। Reply
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मरण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मरण को सल्लेखना अथवा समाधि मरण होना परम आवश्यक है।
‘मरण से घरों में जन्म/ संसार चलता है।’ Is sentence ka meaning clarify karenge, please ?
जीवों का नंबर तो फिक्स है। तो जब तक जीव मरेंगे नहीं, नए जीव कहां से आएंगे !
तभी तो घर का/ संसार का सिलसिला चलेगा।