समुद़घात का तात्पर्य वेदना आदि के निमित्त से मूल शरीर को नहीं छोड़ते हुए, कुछ आत्मप़देश शरीर से बाहर निकलते हैं । इसके सात भेद हैं, जिसमें मरणांतिक भी आता है। अतः मुनि महाराज जी का कथन पूर्ण सत्य है। Reply
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समुद़घात का तात्पर्य वेदना आदि के निमित्त से मूल शरीर को नहीं छोड़ते हुए, कुछ आत्मप़देश शरीर से बाहर निकलते हैं । इसके सात भेद हैं, जिसमें मरणांतिक भी आता है।
अतः मुनि महाराज जी का कथन पूर्ण सत्य है।