मातृभाषा
संस्कार मातृभाषा में क्यों ?
माँ से जो सीखा, उस भाषा को हेय दृष्टि से देखने लगे, तो माँ को भी उसी दृष्टि से देखने लगते हैं, तब उनके दिये संस्कारों को भी उसी तरह हेय देखेंगे, तब ग्रहण कैसे करेंगे ?
उनके प्रति आदरभाव कैसे रहेगा ?
यही अंग्रेजी का दोष है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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मातृ भाषा के संस्कार ही जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं। अतः आचार्य श्री का कथन सत्य है कि जिस देश में मातृभाषा का उपयोग नहीं होता है,वह पिछड़ जाता है। आज भारतवर्ष में अंग्रेजों ने इंग्लिश में कोमेकाले द्वारा भारतवर्ष को बिगाड़ने में सहायक हुआ है।भारत को इंडिया कहा जाता है, जबकि भारत बोलना चाहिए। ज्यादातर देश अपनी मातृभाषा को अपनाते हैं, जैसे जापान आदि, इसके कारण वह प़गती कर रहे हैं, जबकि भारत में अपनी मातृभाषा का उपयोग नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण भारतीय संस्कृति के संस्कार नहीं मिल रहें हैं।
महाराज जी का कथन यही है कि मातृभाषा का उपयोग करना परम आवश्यक है ताकि भारतीय संस्कृति कायम रह सकती है।