मूलवर्ण
64 मूलवर्ण = 33 व्यंजन (i) + 27 स्वर (ii) + 4 योगवाह (iii)
ये अधिक से अधिक संख्यायें हैं। ये सब भाषाओं में होते हैं, किसी में कम किसी में ज्यादा।
i) जो अर्थ को प्रकट करते हैं जैसे क्, ख्, ग्— ।
ये बोलने में स्वरों के संयोग से ही आते हैं।
ii) 9 मूल स्वर (अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ)।
मूल स्वर X 3 भेद ( ह्रस्व, दीर्घ, लुप्त = ए, ए, ए )।
iii) जैसे (अं= अनुस्वार, अ: = विसर्ग) + 2 का प्रयोग होता है।
बहुत कम होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड – गाथा – 352)
5 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मूलवर्ण का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
64 मूलवर्ण = 33 व्यंजन (i) + 24 स्वर (ii) + 4 योगवाह (iii).
Total 64 nahi ho raha. Clarify karenge, please ?
तुम्हारे जैसे site के कद्रदान हों तो गलती रह नहीं सकती।
स्वर 9×3 = 27
Corrected.
Okay.
Dhanyawaad Uncle.