सम्यग्दृष्टि देव रमण में भी शुभ स्मरण तथा मिथ्यादृष्टि शुभ रमण में भी अशुभ स्मरण करते हैं ।
जहाँ रमण है, वहाँ भ्रमण ।
शशि-चिंतन
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रमण का मतलब भ़मण होना होता है और स्मरण का मतलब याददाश्त करना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जहां रमण नहीं, वहां स्मरण ही रहता है। सम्यग्द्वष्टि देव रमण में भी शुभ स्मरण तथा मिथ्या दृष्टि शुभ रमण में भी अशुभ स्मरण करते हैं। अतः सिद्ध होता है कि जहां रमण, वहां भ़मण होना स्वाभाविक होता है।
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रमण का मतलब भ़मण होना होता है और स्मरण का मतलब याददाश्त करना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जहां रमण नहीं, वहां स्मरण ही रहता है। सम्यग्द्वष्टि देव रमण में भी शुभ स्मरण तथा मिथ्या दृष्टि शुभ रमण में भी अशुभ स्मरण करते हैं। अतः सिद्ध होता है कि जहां रमण, वहां भ़मण होना स्वाभाविक होता है।