वेग

1. वेग – काम करने की गति सामान्य/ कुछ अधिक।
2. आवेग – व्यक्ति के भावों में उछाल आता रहता है।
3. उद्वेग – उद्वलित/ क्रोधित/ बेचैन रहता है।
तीनों में शांति क्रमशः अशांति में बढ़ती हुई।
4. संवेग – अशांत को शांत कर देता है। कर्तव्य करता है, फल भाग्य पर छोड़ देता है। धार्मिक प्रकृति वाला।

प. पू. आचार्य श्री विद्यासागर जी के अंतिम 3 प्रवचनों से साभार

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4 Responses

  1. आचार्य श्री विद्या सागर महाराज जी ने वेग के भेद एवं उसकी परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए संवेग का पालन करना परम आवश्यक है।

  2. ‘वेग – काम करने की गति सामान्य/ कुछ अधिक।’ Isme ‘सामान्य’ aur ‘कुछ अधिक’ dono hi kyun kaha ?

    1. सामान्य तथा थोड़ी अधिक speed की एक ही Category रखी गयी है।

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