श्रुत-रचना
अंतिम श्रुत केवली आचार्य श्री भद्रबाहु ने शास्त्रों की रचना खुद क्यों नहीं की ?———————————-पुष्किन
श्रुत केवली का ज्ञान अथाह होता है, उसे कलमबद्ध करना संभव ही नहीं था ।
तो आचार्य श्री धरसेन ने क्यों लिखे ?
तब तक ज्ञान घटते घटते सीमित हो गया था तथा उनको महसूस होने लगा था कि यदि अभी लिपिबद्ध नहीं किया तो भविष्य में लोग विपरीत लिखना शुरू कर देंगे ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि श्रुत केवली का ज्ञान अथाह होता है लेकिन उस ज्ञान को कलमबद्ध करना असंभव था, इसलिए अंतिम श्रुत केवली आचार्य भ़दबाहु ने शास्त्रों की रचना नहीं की गई थी। अतः जब ज्ञान घटते घटते सीमित हो गया था तब आचार्य श्री धनसेन को एहसास हुआ था यदि लिपिबद्ध नहीं किया गया तो भविष्य में लोग विपरीत लिखना शुरू कर सकते थे, अतः आचार्य श्री धनसेन ने ही उस समय लिपिबद्ध किया । अतः उस समय भी नहीं लिखा होता तो उक्त ज्ञान आज तक प्राप्त नहीं रहता।