जहाँ बुरा बूरा लगे, वहाँ सतयुग,
जहाँ खरा अखरे ,वहाँ कलयुग !
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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सतयुग/कलयुग का होना द़व्य, काल, क्षेत्र के ऊपर निर्भर होता है।सतयुग में जीवन अच्छा व्यतीत होता है जब कि कलयुग में जीवन उतार चढाव सहित होता है। अभी पचंमकाल चल रहा है जिसमें उतार चढाव बना रहता है।
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सतयुग/कलयुग का होना द़व्य, काल, क्षेत्र के ऊपर निर्भर होता है।सतयुग में जीवन अच्छा व्यतीत होता है जब कि कलयुग में जीवन उतार चढाव सहित होता है। अभी पचंमकाल चल रहा है जिसमें उतार चढाव बना रहता है।