सत् / सत्य

सत् अस्तित्व रूप है। सत्य हमेशा सत् हो आवश्यक नहीं।
सत्य धर्म नहीं धर्म तो अहिंसा है, सत्य उसकी रक्षा करता है।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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3 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने सत् एवं सत्य को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हमेशा सत्य पर ध्यान रखना परम आवश्यक है।

  2. 1) “सत्य हमेशा सत् हो आवश्यक नहीं”; ka meaning explain karenge, please ?
    2) Agar ‘Satya’ dharma nahi hai, to use 10 dharmon me include karne ka logic clarify karenge, please ?

    1. 1) सत्य काल और परिस्थिति सापेक्ष भी हो सकता है जैसे मुनराज चौथे काल जंगलों में रहते थे।
      2) यहाँ पर मुख्यता से कहा गया कि असली धर्म तो अहिंसा है और बाकी सब उसकी रक्षा के लिए हैं जैसे एसपी के साथ अन्य अधिकारी और पुलिस, कहने के लिए सब पुलिस फोर्स हैं।

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