सत्य
सत्य की भूख तो सबको होती ही है.
पर..
जब सत्य परोसा जाता है तो बहुत कम
लोगो को उसका स्वाद पसंद आता है।
यदि हमने अपने जीवन में सत्य-ज्योति हासिल कर ली है तो हमारा दायित्व है,कि हम उस पर संयम की एक चिमनी भी रख दें जिससे वह सच्चाई की ज्योति कभी बुझ नहीं पाए ।
– मुनि श्री क्षमासागरजी”