मेरा यहाँ क्या ?
आशीष फल रहा है
शीर्ष जाकर बैठूं, शेष रह गया है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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6 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने अंत में भावना का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! महाराज जी ने सत्य कहा है कि यहां हमारा कुछ नहीं है सिर्फ मोक्ष मार्ग पर चल रहे हैं! अतः प़त्येक श्रावक को भी आचार्य श्री का कथन को स्वीकार करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने अंत में भावना का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! महाराज जी ने सत्य कहा है कि यहां हमारा कुछ नहीं है सिर्फ मोक्ष मार्ग पर चल रहे हैं! अतः प़त्येक श्रावक को भी आचार्य श्री का कथन को स्वीकार करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
‘शीर्ष जाकर बैठूं, शेष रह गया है’। Is line ka kya meaning hai, please ?
आज तक जो भी अच्छा हो रहा है वह गुरु की कृपा से, आगे मुझे
मोक्ष जाना है (जिसके लिए मुझे खुद पुरुषार्थ करना है)
Aur wahi ‘पुरुषार्थ’ ab baaki rah gaya hai,
right ?
उससे पहले को तो वे पुरुषार्थ मानते ही नहीं हैं, गुरु कृपा मानते हैं।
Okay.