साधर्मी के साथ विसंवाद में चोरी का दोष कैसे ?
1. विसंवाद तभी होगा जब ममत्व होगा तब सामने वाले की सोच को तोड़ा/चुराया जाता है।
2. आ. श्री कहते हैं – देखने वालों की श्रद्धा भी खराब होती है, सो तुम्हारे निमित्त से श्रद्धा की चोरी हुई न !
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
ठ
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अचौर्य की भावनाओं का तात्पर्य दुसरे की वस्तु का उसकी अनुमति के बिना लेना नहीं चाहिए। मुनि श्री ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः ममत्व का भाव समाप्त होना चाहिए, ताकि अचौर्य भाव बना रह सकता है।
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अचौर्य की भावनाओं का तात्पर्य दुसरे की वस्तु का उसकी अनुमति के बिना लेना नहीं चाहिए। मुनि श्री ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः ममत्व का भाव समाप्त होना चाहिए, ताकि अचौर्य भाव बना रह सकता है।