अज्ञान केवल दर्शनमोहनीय के कारण ही नहीं होता,
बल्कि…
चारित्र मोहनीय के कारण भी होता है,
जैसे भरत चक्रवर्ती को ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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अज्ञान-भाव,अज्ञान-मिथात्व,अज्ञान-परिषभिव इन तीनों अज्ञान रुपी है। अतः यह कथन सत्य है कि अज्ञान केवल दर्शनमोहनीय के कारण ही नहीं होता है बल्कि चारित्रमोहनीय के कारण भी होता है, जैसे भरत चक्रवर्ती को हुआ था।
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अज्ञान-भाव,अज्ञान-मिथात्व,अज्ञान-परिषभिव इन तीनों अज्ञान रुपी है। अतः यह कथन सत्य है कि अज्ञान केवल दर्शनमोहनीय के कारण ही नहीं होता है बल्कि चारित्रमोहनीय के कारण भी होता है, जैसे भरत चक्रवर्ती को हुआ था।