धर्मात्मा की पहचान

  1. मुसीबत पड़ने पर भगवान/गुरु की शरण में जाते हो, या संसारी लोगों की  ?
  2. सकून में धर्म करने का मन होता है या विषय-भोग का ?

चिंतन

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One Response

  1. आजकल, मुसीबत पड़ने पर ही मंदिर एवं गुरुओं के पास जाते हैं, सकून में मंदिर नहीं जाते हैं, भोग-विलास में लगे रहते हैं। अतः धर्मात्मा की पहचान तभी होगी, जब हम हर समय, चाहे सुख हो या दुःख हो, मंदिर एवं गुरुओं के पास जाएँ ।

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