माँ बच्चे को दूसरे बच्चों का उदाहरण देती है – प्रथमानुयोग,
नियमादि बताती है – करुणायोग,
कैसे चलना/व्यवहार करना – चरणानुयोग,
बच्चे को शांत रहने को कहना – द्रव्यानुयोग ।
आर्यिका श्री वर्धनंदनी माताजी
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अनुयोग, जिनवाणी के उपदेश की पद्धति को कहते हैं। जिसके चार भाग होते हैं,प़थमानुयोग,करुणानुयोग, चरणानुयोग और द़व्यानुयोग। उपरोक्त कथन सत्य है कि मां बच्चे को दूसरे बच्चों का उदाहरण देती है तो पहले प़थमानुयोग,नियमादि बताती है उसे करुणानुयोग, इसके अतिरिक्त कैसे चलना और व्यवहार करने को चरणानुयोग कहते है, इसके अलावा बच्चे को शांत रहने को कहना को द़व्यानुयोग कहते हैं।
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अनुयोग, जिनवाणी के उपदेश की पद्धति को कहते हैं। जिसके चार भाग होते हैं,प़थमानुयोग,करुणानुयोग, चरणानुयोग और द़व्यानुयोग। उपरोक्त कथन सत्य है कि मां बच्चे को दूसरे बच्चों का उदाहरण देती है तो पहले प़थमानुयोग,नियमादि बताती है उसे करुणानुयोग, इसके अतिरिक्त कैसे चलना और व्यवहार करने को चरणानुयोग कहते है, इसके अलावा बच्चे को शांत रहने को कहना को द़व्यानुयोग कहते हैं।