अप्रमत्त गुणस्थान
स्वस्थान अप्रमत्त – प्रमाद रहित, कषायों का अनुपशामक व अक्षपक होते हुये भी ध्यान में लीन ।
सातिशय अप्रमत्त – श्रेणी चढ़ने के सम्मुख खड़ा हुआ ।
जैनेन्द्र सिद्धांत कोश – 4/130
स्वस्थान अप्रमत्त – प्रमाद रहित, कषायों का अनुपशामक व अक्षपक होते हुये भी ध्यान में लीन ।
सातिशय अप्रमत्त – श्रेणी चढ़ने के सम्मुख खड़ा हुआ ।
जैनेन्द्र सिद्धांत कोश – 4/130