अभ्यस्त

वनस्पति घी खरीदते समय पूँछते हैं – यह असली तो है ना ?
नकली को असली मानने लगे हैं, क्योंकि आदत पड़ गयी है ।

हम भी मोह में संसार को अपना हितैषी मानने लगे हैं, असली यानि भगवान/धर्म को नहीं ।

चिंतन

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

August 9, 2012

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031