असंयम
जैसे संयम-मार्गणा में “परस्परोपग्रहो जीवानाम्” होता है; वैसे ही असंयम-मार्गणा में “परस्परोपद्रवो जीवानाम्” होता है।
उपद्रवों से बचने के लिए संयमी बनें। आवश्यकताएँ कम करें; अनावश्यक छोड़ें।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
जैसे संयम-मार्गणा में “परस्परोपग्रहो जीवानाम्” होता है; वैसे ही असंयम-मार्गणा में “परस्परोपद्रवो जीवानाम्” होता है।
उपद्रवों से बचने के लिए संयमी बनें। आवश्यकताएँ कम करें; अनावश्यक छोड़ें।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने असंयम का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में असंयम की जगह संयम धारण करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!