असत्य
असत्य यानि प्रमाद (असावधानी) पूर्वक कहे गये शब्द।
यदि कोई सावधानी पूर्वक असत्य कहे तो प्रमाद/असत्य न होगा?
होगा, जैसे सावधानी पूर्वक किसी जीव को मारने में हिंसा है।
क्योंकि सत्य वचन बोलने की सावधानी नहीं रखी गयी है।
असत्य बोलते समय ख़ुद की अशांति/ख़ुद का घात भी होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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असत्य का मतलब आगम की कही बात नहीं मानना एवं अहित का सोचना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि सत्य बोलने में सावधानी नहीं रखी जाती है। अतः जीवन में असत्य बोलने वाले को अशांति रहती है एवं खुद का घात भी होता है। अतः जीवन में सत्य का आश्रय लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।