अहिंसा धर्म

एक Non-Veg लेने वाले आध्यात्मिक प्रकृति के वकील ने कहा –
अहिंसा धर्म मानने वाले अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं । जिन मतों में अहिंसा का महत्त्व नहीं है या कम है, वे अपने मत को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं ।
फ़ैसला कैसे हो ?
फ़ैसला तो मरने के बाद ऊपर जाकर ही हो पायेगा ।
पर ये तय है कि अहिंसा मत मानने वाले वे गुनाह तो करते ही नहीं जिनकी दूसरों के मतों के शास्त्रों में मनाही है ।
लेकिन दूसरे मत वाले ऐसे गुनाह खूब करते हैं, जिनको अहिंसा मत में निषेध कहा है ।
यदि ऊपर जाकर दूसरे मत वाले सही सिद्ध हुये तब भी अहिंसा वाले तो Least Risk पर रहेंगे ।
लेकिन ख़ुदानाख़ास्ता अहिंसा धर्म सही निकल गया तो हमें क्या सज़ा मिलेगी इसका ज़िक्र हमारी धर्म पुस्तकों में भी नहीं मिलेगा । क्योंकि हमारी पुस्तकों में उन्हीं गुनाहों की सज़ा लिखी है जिनको उन्होंने गुनाह माना है ।

श्री आशीषमणी/श्री सौरभ जैन – नोयड़ा

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One Response

  1. Inspite of being in the least risk position, we as Jains dont take pride in our habits of vegetarianism,eating before sunset, etc;
    We should follow the principles of non-violence for safeguarding this position.

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