सम्बंध तीन प्रकार के –
1. संयोग
2. संश्लेष
3. तादात्म्य
पहले दो बेईमान हो सकते हैं पर तादात्म्य सम्बंध नहीं।
मैं और आत्मा…. पर्यायवाची/ अविनाभावी तथा तादात्म्य सम्बंध वाले हैं।
(आत्मा और ज्ञान/ दर्शन/ चेतना के सम्बन्ध भी तादात्म्य हैं)
मुनि श्री सुधासागर जी
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6 Responses
आत्मा, जो यथासंभव ज्ञान दर्शन आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मा से सम्बंध तीन प्रकार के होते हैं, संयोग,संष्लेश, तादात्म्य। पहिले दो बेईमान हो सकते हैं,पर तादात्म संबंध नहीं। मैं और आत्मा, पर्यायवाची अविनाभावी एवं तादात्म संबंध है।
संयोगज सम्बंधों में जिंदगी भर निभाने के बड़े-बड़े वायदे किये जाते हैं, पर क्या वे निभाये जाते/ जा सकते हैं !
संश्लेष सम्बंधों में पानी दूध के भाव बिकता है तथा ताप मिलने पर साथ छोड़ जाता है!!
क्या ये बेईमानी के सम्बन्ध नहीं हुए ?
6 Responses
आत्मा, जो यथासंभव ज्ञान दर्शन आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मा से सम्बंध तीन प्रकार के होते हैं, संयोग,संष्लेश, तादात्म्य। पहिले दो बेईमान हो सकते हैं,पर तादात्म संबंध नहीं। मैं और आत्मा, पर्यायवाची अविनाभावी एवं तादात्म संबंध है।
“अविनाभावी” ka kya meaning hai, please?
अविनाभावी = जो एक दूसरे के बिना न रहते हों।
पहले दो बेईमान kaise हो सकते hain? Pl. explain?
संयोगज सम्बंधों में जिंदगी भर निभाने के बड़े-बड़े वायदे किये जाते हैं, पर क्या वे निभाये जाते/ जा सकते हैं !
संश्लेष सम्बंधों में पानी दूध के भाव बिकता है तथा ताप मिलने पर साथ छोड़ जाता है!!
क्या ये बेईमानी के सम्बन्ध नहीं हुए ?
Okay.