सिद्धों और निगोदियाओं को झंझावात भी नहीं हिला सकता क्योंकि वे किसी के आधार से नहीं रहते।
पूर्ण ज्ञानी और अज्ञानी के भी आधार नहीं रहते,
उन्हें भी कोई बदल नहीं सकता।
चिंतन
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7 Responses
सिद्ध का तात्पर्य… समस्त आठ कर्मों को जिन्होंने नष्ट कर दिया है वह निंरजन परमात्मा ही सिद्व हैं।
निगोद का तात्पर्य अनन्त जीवों को एक निवास दें उसे कहते हैं,आशय यह कि साधारण शरीर में जैसे अनन्तों जीव निवास करते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सिद्धों और निगोदिओ को कोई नहीं हिला सकता है, क्योंकि वह किसी के आधार पर नहीं रहते हैं इसी प़कार ज्ञानी और अज्ञानी के आधार नहीं होते हैं, अतः उनको कोई बदल नहीं सकता है।
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सिद्ध का तात्पर्य… समस्त आठ कर्मों को जिन्होंने नष्ट कर दिया है वह निंरजन परमात्मा ही सिद्व हैं।
निगोद का तात्पर्य अनन्त जीवों को एक निवास दें उसे कहते हैं,आशय यह कि साधारण शरीर में जैसे अनन्तों जीव निवास करते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सिद्धों और निगोदिओ को कोई नहीं हिला सकता है, क्योंकि वह किसी के आधार पर नहीं रहते हैं इसी प़कार ज्ञानी और अज्ञानी के आधार नहीं होते हैं, अतः उनको कोई बदल नहीं सकता है।
Can meaning of the 3rd line be explained, please?
पूर्ण ज्ञान होने पर आधार की जरूरत ही नहीं।
अज्ञानी आधार जानता/ मानता नहीं।
Okay.
“निगोदियाओं” ka आधार kaise nahi hota?
सिद्धालय में शरीर नहीं होते सो बादर निगोदिया तो हो नहीं सकते,
सूक्ष्म निगोदिया को आधार की जरूरत ही नहीं है।
OK.