आम्नाय यानि परम्परा,
पर स्वाध्याय में बार बार पठन करेंगे तभी तो वह आम्नाय बनेगी।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि आम्नाय यानी परम्परा होना आवश्यक है। लेकिन जब स्वाध्याय का बार बार पठन करेंगे तभी तो परम्परायें बनी रह सकतीं हैं।
अतः जीवन में पूजा पाठ रोज करते हों तो कम से कम स्वाध्याय की प्रतिदिन परम्परा लाना परम आवश्यक है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि आम्नाय यानी परम्परा होना आवश्यक है। लेकिन जब स्वाध्याय का बार बार पठन करेंगे तभी तो परम्परायें बनी रह सकतीं हैं।
अतः जीवन में पूजा पाठ रोज करते हों तो कम से कम स्वाध्याय की प्रतिदिन परम्परा लाना परम आवश्यक है।